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बस्तु
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.668612 | Lang: NA
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physical object
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3564241 | Lang: NA
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thing
Meanings: 13; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.3118711 | Lang: NA
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material
Meanings: 60; in Dictionaries: 21
Type: WORD | Rank: 0.267318 | Lang: NA
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object
Meanings: 54; in Dictionaries: 14
Type: WORD | Rank: 0.267318 | Lang: NA
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stuff
Meanings: 27; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.222765 | Lang: NA
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specialist shop
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1047424 | Lang: NA
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हम्किनु
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.06109971 | Lang: NA
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भजन - मुसाफिर रैन रही थोरी । ज...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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हात्तीका दाह्रा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.05237118 | Lang: NA
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भजन - नयनों रे , चित -चोर बतावौ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - इत है नीर नहावन जोग । अनत...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - साधो , हरि -पद कठिन कहानी...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - ऊधो ! तुम तो बड़े बिरागी ...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
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भजन - साधो , राम अनूपम बानी । ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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बस्ता
Meanings: 11; in Dictionaries: 6
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विनय पत्रिका - विनयावली ५४
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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बालकाण्ड - दोहा २९१ से ३००
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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बालकाण्ड - दोहा ३०१ से ३१०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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संत श्रीरोहिदासांची पदे - ७३ ते ७८
संत रोहिदास (इ.स. १३७६ - इ.स. १५२७) हे मध्ययुगीन भारतातील हिंदू संत होते. यांच्या गुरूंचे नाव रामानंद स्वामी होते. कबीर यांचे समकालीन होत; तर मीराबाई यांच्या शिष्या होत्या.
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अरण्यकाण्ड - दोहा ४१ से ४६
गोस्वामी तुलसीदासजीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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अध्याय एकवीसावा - श्लोक ५१ ते १००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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बालकाण्ड - दोहा ३३१ से ३४०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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अयोध्या काण्ड - दोहा १ से १०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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बालकाण्ड - दोहा ३४१ से ३५०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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बालकाण्ड - दोहा २११ से २२०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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उत्तरकाण्ड - दोहा २१ से ३०
गोस्वामी तुलसीदासजीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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बालकाण्ड - दोहा ९१ से १००
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की । संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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बालकाण्ड - दोहा १ से १०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की । संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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संत श्रीरोहिदासांची पदे - ८७ ते १००
संत रोहिदास (इ.स. १३७६ - इ.स. १५२७) हे मध्ययुगीन भारतातील हिंदू संत होते. यांच्या गुरूंचे नाव रामानंद स्वामी होते. कबीर यांचे समकालीन होत; तर मीराबाई यांच्या शिष्या होत्या.
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बालकाण्ड - दोहा ३२१ से ३३०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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पांडवप्रताप - अध्याय २२ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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प्राणवहस्त्रोतस् - परिचय
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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